डिजिटल रुपी का पायलट प्रोजेक्ट भारत में जारी है. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत भी कह चुके हैं कि ये फ्यूचर करेंसी है. इस पर सिंगापुर, दुबई और कई देशों के साथ रियल टाइम सैटलमेंट पर बातचीत चल रही है. हालांकि, अभी तक ऐसा कोई बयान नहीं आया है कि जिससे इस बात को पुख्ता किया जा सकते है सैलरी जल्द डिजिटल रुपी में मिलेगी. आपके के लिए ये बात भी जानना बेहद जरूरी है कि क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल करेंसी बिल्कुल अलग-अलग है. कुछ कंपनियां क्रिप्टोकरेंसी में सैलरी दे रही है.
क्रिप्टोकरेंसी
जैसे बिटकॉइन पर किसी भी देश या फिर सेंट्रल बैंक के कानून या नियम लागू नहीं होते है. वहीं, डिजिटल करेंसी जैसे भारत का ई-रुपया है. उस पर RBI के नियम लागू होंगे. उसे पूरी तरह से सरकार की मान्यता होगी.
क्रिप्टोकरेंसी डिजिटल तरीके से लेनदेन किया जा सकता है. ब्लॉकचेन तकनीक के जरिए क्रिप्टोकरेंसी अलग-अलग जगहों पर स्टोर रहती है. ब्लॉकचेन ऐसी तकनीक है जिससे Digital Currency बनाने के साथ ही किसी भी चीज को डिजिटल बनाकर उसका रिकॉर्ड रखा जा सकता है.
डिजिटल रुपये- इसका लेनदेन भी डिजिटल तरीके यानी क्रिप्टोकरेंसी की तरह से ही होगा. लेकिन ये पूरी तरह से रेगुलेटेड है. इसे सरकार की मंजूरी है.
किसी भी तरह की दिक्कत आने पर सरकार और RBI दखल दे सकते हैं. लेकिन क्रिप्टोकरेंसी में ये संभव नहीं है. यूपीआई और पेमेंट वॉलेट के जरिए किए जाने वाले डिजिटल भुगतान से ये पूरी तरह से अलग है.
वहीं डिजिटल रुपी में उतार-चढ़ाव जैसा कुछ नहीं होगा. इसका वही प्रभाव होगा जो नकद मुद्रा का होता है. इसके अलावा डिजिटल रुपी को नकदी में बदला जा सकेगा.