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रोजना हजारों नौकरियां जाने की खबर, कंपनियों ऐसा क्यों कर रही है? अब भारत में क्या होगा

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हर रोज छंटनी की खबर...आखिर ऐसा क्यों हो रहा है....भारत में भी क्या ऐसी संभावना है? विस्तार से इसके बारे में जानिए

इंटरनेट और सॉफ्टवेयर सर्विसेज की डिमांड बढ़ गई थी. आप में से कई लोगों ने घर में वाई-फाई जरूर लगवाया होगा. ज़ूम कॉल और गूगल मीट जैसे शब्द हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन गए थे. काम से इतर आप अपनों से ऑनलाइन ही जुड़ पा रहे थे. खरीदना-बेचना सब ऑनलाइन था. जो लोग पहले ऑनलाइन सर्विसेज को अपनाने से बचते थे, उनके लिए भी दूसरा कोई विकल्प नहीं बचा था. इसीलिए आईटी की डिमांड बहुत ज्यादा थी.

अल्फाबेट (12,000 कर्मचारी), अमेज़ॅन (18,000), मेटा (11,000), ट्विटर (4,000), माइक्रोसॉफ्ट (10,000) और सेल्सफोर्स सहित प्रमुख तकनीकी कंपनियों से बड़ी संख्या में कर्मचारियों को निकाल दिया गया है. 8,000). टेस्ला, नेटफ्लिक्स, रॉबिन हुड, स्नैप, कॉइनबेस और स्पॉटिफ़ सहित अन्य घरेलू नाम स्पॉटलाइट साझा करते हैं - लेकिन उनकी छंटनी ऊपर बताए गए लोगों की तुलना में काफी कम है.
सॉफ्टवेयर, सोशल मीडिया और कई टेक कंपनियों में छंटनी के इस सिलसिले की शुरुआत पिछले साल से ही हो गई थी. मेटा, ट्विटर और एमेजॉन जैसी दिग्गज कंपनियों ने पिछले साल से ही छंटनी शुरू कर दी थी.
कंपनियों में छंटनी का रिकॉर्ड रखने वाली वेबसाइट layoffs.fyi के मुताबिक, बीते साल 2022 में 1 हजार से अधिक कंपनियों ने 1,52,000 कर्मियों को नौकरी से निकाला.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, टेक कंपनियों में सबसे बड़ी छंटनी नवंबर में दर्ज की गई थी. लगभग 53,000 कर्मियों को नौकरी से निकाला गया था.
इस पूरे मामले पर सीएनबीसी आवाज़ ने एक एक शो किया है. जिसमें विस्तार से इसकी जानकारी दी है.
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