अमेरिका में ब्याज दरें कितनी बढ़ेंगी? ये सवाल इस समय सब के मन में है! हालांकि, अब ब्याज दरों में हल्की बढ़ोतरी की उम्मीद है. क्योंकि, हाल के आर्थिक आंकड़ों के बाद महंगाई में गिरावट की उम्मीद लगाई जा रही है. इसीलिए अमेरिका समेत दुनियाभर के बाजारों में तेजी है. आपको बता दें कि भारत की आरबीआई की तरह अमेरिका का सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व ब्याज दरों पर फैसला लेता है. इनका असर पूरी दुनिया पर होता है.
फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने हाल में कहा था कि ब्याज दरों में ज्यादा बढ़ोतरी की संभावना नहीं है.
भारत के शेयर बाजार पर इसका क्या असर होगा?
अगर ब्याज दरों में कम बढ़ोतरी होती है तो घरेलू बाजार में जोरदार तेजी आ सकती है. जब किसी अर्थव्यवस्था में ब्याज दरें कम होती हैं तो लोग सस्ते में लोन लेते हैं. इससे वे गुड्स और सर्विसेज पर भरपूर खर्च कर पाते हैं. इस तरह अर्थव्यवस्था में पैसों की सप्लाई बढ़ जाती है. इससे सप्लाई की तुलना में डिमांड में बढ़ोतरी देखने को मिलती है.
डिमांड-सप्लाई में इसी असंतुलन से गुड्स और सर्विसेज की कीमतों में तेजी आती है, जिसे आमतौर पर महंगाई कहा जाता है.
इसी को कम करने के लिए केंद्रीय बैंक ब्याज दरें बढ़ा देता है ताकि अर्थव्यवस्था में पैसों की सप्लाई कम हो जाए. इससे गुड्स और सर्विसेज की कीमतें कम करने में मदद मिलती है और महंगाई कम होती है.
आमतौर पर फेड रिजर्व के ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बाद माना जाता है कि भारत में भी ब्याज दरें बढ़ेंगी. ब्याज दरें बढ़ने से उन कंपनियों के शेयरों पर असर पड़ता है, जिनका कारोबार इससे जुड़ा है.