मल्टीकैप फंड्स
-डायवर्सिफाइड म्यूचुअल फंड होते हैं. इनमें फंड हाउस के पास यह सुविधा होती है कि वह निवेशकों का पैसा अलग-अलग मार्केट कैप वाली कंपनियों में लगा सकते हैं. वहीं, फ्लेक्सी-कैप एक इक्विटी म्यूचुअल फंड होता है जिसके पास निवेश करने के लिए लचीलापन होता है. इसमें फंड मैनेजर अपने हिसाब से निवेशक का पैसा स्मॉल, मिड या लार्ज कैप में निवेश करते हैं. इसमें फंड मैनेजर इस बात के लिए बाध्य नहीं रहता है कि उसे किस फंड कैटेगिरी में कितना निवेश करना है. इसमें कोई भी व्यक्ति 500 रुपए से निवेश की शुरुआत कर सकता है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स- इन स्कीमों में कम से कम 5 साल के टाइम पीरियड को ध्यान में रख कर निवेश करना चाहिए. हो सकता है कम अवधि में कैटेगिरी का प्रदर्शन अच्छा न हो लेकिन लम्बी अवधि में ये आपको बेहतर रिटर्न दे सकते हैं.
12 महीने से कम समय में निवेश भुनाने पर इक्विटी फंड्स से कमाई पर शार्ट टर्म कैपिटल गेन्स (STCG) टैक्स लगता है. यह मौजूदा नियमों के हिसाब से कमाई पर 15% तक लगाया जाता है.
अगर आपका निवेश 12 महीनों से ज्यादा के लिए है तो इसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) माना जाएगा और इस पर 10% ब्याज देना होगा.