म्यूचुअल फंड स्कीम्स में पैसा लगाने वाले अक्सर डायरेक्ट और रेगुलर प्लान को लेकर सवाल पूछते हैं. इसीलिए इस मुश्किल को आसान बनाने के लिए आज हम आपको इसकी जानकारी दे रहे है. म्यूचुअल फंड के डायरेक्ट प्लान में कोई कमीशन या ब्रोकरेज शामिल नहीं होता है. वहीं, रेगुलर प्लान में इसे वसूला जाता है. इन दोनों के बीच और भी कई अंतर हैं. यहां हमने उन्हीं के बारे में बताया है.डायरेक्ट प्लान की पेशकश फंड हाउस सीधे करते हैं. वहीं, रेगुलर प्लान इंडिपेंडेंट फाइनेंशियल एडवाइजर, बैंक या एनबीएफसी जैसे इंटरमीडियरी या डिस्ट्रीब्यूटरों के जरिये खरीदे जा सकते हैं.रेगुलर प्लान के मुकाबले डायरेक्ट प्लान की एनएवी ज्यादा होती है. डायरेक्ट प्लानों में कोई कमीशन या ब्रोकरेज नहीं होता है. जबकि रेगुलर प्लानों में इंटरमीडियरी को कमीशन या ब्रोकरेज देना पड़ता है. यही वजह है कि लागत के लिहाज से रेगुलर प्लान के मुकाबले डायरेक्टर प्लान सस्ते पड़ते हैं.