फैंकलिन टेंपलटन फिक्स्ड इनकम की चीफ इनवेस्टमेंट ऑफिसर सोनल देसाई का कहना है कि अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व मौजूदा स्तर से ब्याज दरों को 1.25 फीसदी से 1.50 फीसदी तक बढ़ा सकता है. यह बढ़कर 5-5.50 फीसदी तक पहुंच सकती है. उनका कहना है कि फेडरल रिजर्व अगले साल इंटरेस्ट रेट नहीं बढ़ाएगा.आमतौर पर फेड रिजर्व के ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बाद माना जाता है कि भारत में भी ब्याज दरें बढ़ेंगी. ब्याज दरें बढ़ने से उन कंपनियों के शेयरों पर असर पड़ता है, जिनका कारोबार इससे जुड़ा है. भारत का व्यापार घाटा रिकॉर्ड स्तर पर है. इसका मतलब है कि भारत निर्यात की तुलना में ज्यादा आयात कर रहा है. ऐसे में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ब्याज दरों में कुछ इस तरह बढ़ोतरी करेगा कि भारतीय और अमेरिकी ब्याज में अंतर से डॉलर का भाव प्रभावित हो.
साल 2024 में इंटरेस्ट रेट बढ़ने की उम्मीद नहीं है. हालांकि, फेड के रेट बढ़ाने का असर इंडिया पर ज्यादा नहीं पड़ेगा. इसकी वजह यह है कि इंटरनेशनल कैपिटल फ्लो का खास असर इंडिया पर नहीं है. इंडिया पर ज्यादा असर ऑयल की कीमतों पर पड़ता है.
(1) US फेड ब्याज दरें क्यों बढ़ा रहा?
दुनियाभर में महंगाई देखने को मिल रही है. इसके साथ ही अब मंदी की भी आशंका है. बढ़ती महंगाई को काबू करने के लिए अमेरिकी केंद्रीय बैंक यानि फेडरल रिजर्व सख्त रुख के साथ ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर रहा है ताकि वहां की अर्थव्यवस्था में पैसों की सप्लाई कम हो सके.
(2) जब किसी अर्थव्यवस्था में ब्याज दरें कम होती हैं तो लोग सस्ते में लोन लेते हैं. इससे वे गुड्स और सर्विसेज पर भरपूर खर्च कर पाते हैं. इस तरह अर्थव्यवस्था में पैसों की सप्लाई बढ़ जाती है. इससे सप्लाई की तुलना में डिमांड में बढ़ोतरी देखने को मिलती है.
(3) डिमांड-सप्लाई में इसी असंतुलन से गुड्स और सर्विसेज की कीमतों में तेजी आती है, जिसे आमतौर पर महंगाई कहा जाता है. इसी को कम करने के लिए केंद्रीय बैंक ब्याज दरें बढ़ा देता है ताकि अर्थव्यवस्था में पैसों की सप्लाई कम हो जाए. इससे गुड्स और सर्विसेज की कीमतें कम करने में मदद मिलती है और महंगाई कम होती है.
(4) भारत पर इसका क्या असर होगा? जब फेड ब्याज दरों में बढ़ोतरी करता है तो अमेरिकी और भारतीय ब्याज दरों में अंतर कम होता है. इससे भारत समेत दूसरी उभरती अर्थव्यवस्थाओं में करेंसी कैरी ट्रेड कम आकर्षक होती है. इससे भारत की पूंजी देश से बाहर जाती है और डॉलर के मुकाबले रुपए में कमजोरी आती है. इस प्रकार अमेरिकी महंगाई का असर भारतीय अर्थव्यवस्था में भी देखने को मिलता है और यहां भी नीतिगत ब्याज दरों में बढ़ोतरी का फैसला लेना पड़ता है.
(5)शेयर बाजार पर इसका क्या असर होगा? घरेलू शेयर बाजार को पहले से ही उम्मीद था कि अमेरिकी फेड ब्याज दरों में 0.75% की बढ़ोतरी करेगा. बढ़ती महंगाई और जियो-पॉलिटिकल तनाव का असर घरेलू बाजार पर पहले ही देखने को मिल चुका है. इस साल अब तक निफ्टी में 2.35% और सेंसेक्स में 2.64% की ही बढ़त देखने को मिली है. बाजार जानकारों का मानना है कि बाजार ने पहले ही दरों में बढ़ोतरी का पचा लिया है.