ADR/GDR/IDR क्या होते हैं, इनमें कैसे कारोबार होता है
सबसे पहले ADR के बारे में बताते हैं... ADR यानी अमेरिकन डिपॉज़िटरी रिसीट-कोई विदेशी कंपनी अगर US बाज़ार में लिस्ट होना चाहती है तो उसे ADR इश्यू करने होते हैं. Tata Motors, Infosys, ICICI Bank के ADRs हैं
GDR-GDR यानी ग्लोबल डिपॉज़िटरी रिसीट कहते हैं. एक से अधिक देशों में कंपनी लिस्ट कराने के लिए GDR इश्यू किया जाता है.
IDR-IDR यानी इंडियन डिपॉज़िटरी रिसीट कहते हैं. कोई विदेशी कंपनी अगर भारत में लिस्ट होना चाहती है तो उसे IDR इश्यू करना होता है.
ADR में कारोबार-कंपनियां फंड जुटाने के लिए विदेशी निवेशकों को ADR जारी करती हैं.मसलन यदि कोई भारतीय कंपनी ADR जारी करना चाहती है तो उसे उतने ही शेयर अमेरिकी डिपॉजिटरी बैंक को जारी करने पड़ेंगे.डिपॉजिटरी उन निवेशकों को रिसीट जारी करेगा, जिन्होंने ADR इश्यू को सब्सक्राइब किया है.डिपॉजिटरी रिसीट हस्तांतरणीय यानी ट्रांसफरेबल इंस्ट्रूमेंट होते हैं यानी जिस स्टॉक एक्सचेंज में ये लिस्टेड होते हैं, उसमें इनकी खरीद-फरोख्त की जा सकती है.ADR रखने वाला व्यक्ति डिपॉजिटरी को इन्हें अंडरलाइंग शेयरों में बदलने के लिए कह सकता है और वह भारतीय शेयर बाजार में इन्हें बेच सकता है.