अमेरिकी सेंट्रल बैंक की दो दिनों से जारी बैठक का फैसला कुछ ही देर में आना वाला है. दुनियाभर के अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इस बार ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है. सीएनबीसी आवाज़ के शो में एक्सपर्ट्स ने बताया कि अगर ब्याज दरों में 0.25 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी होती है तो सेंसेक्स-निफ्टी में तेज गिरावट आ सकती है.
आपको बता दें कि अमेरिका में फेडरल रिजर्व ने दिसंबर महीने में लगातार सातवीं बार ब्याज दरें बढ़ाई थी. अमेरिका में ब्याद दरें 0.50 फीसदी बढ़कर 4.5 फीसदी हो गई थी. इसके बाद फेड ने महंगाई से मुकाबले के लिए अगले साल भी दरें बढ़ाने के दिए संकेत दिए थे.
भारत पर इसका क्या असर होगा?
जब फेड ब्याज दरों में बढ़ोतरी करता है तो अमेरिकी और भारतीय ब्याज दरों में अंतर कम होता है. इससे भारत समेत दूसरी उभरती अर्थव्यवस्थाओं में करेंसी कैरी ट्रेड कम आकर्षक होती है.
इससे भारत की पूंजी देश से बाहर जाती है और डॉलर के मुकाबले रुपए में कमजोरी आती है. इस प्रकार अमेरिकी महंगाई का असर भारतीय अर्थव्यवस्था में भी देखने को मिलता है और यहां भी ब्याज दरों में बढ़ोतरी का फैसला लेना पड़ता है.
आमतौर पर फेड रिजर्व के ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बाद माना जाता है कि भारत में भी ब्याज दरें बढ़ेंगी. ब्याज दरें बढ़ने से उन कंपनियों के शेयरों पर असर पड़ता है, जिनका कारोबार इससे जुड़ा है.
भारत का व्यापार घाटा रिकॉर्ड स्तर पर है. इसका मतलब है कि भारत निर्यात की तुलना में ज्यादा आयात कर रहा है. ऐसे में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ब्याज दरों में कुछ इस तरह बढ़ोतरी करेगा कि भारतीय और अमेरिकी ब्याज में अंतर से डॉलर का भाव प्रभावित हो.