सबसे पहले आपको बताते हैं कि किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए 'आर्थिक मंदी' एक डरावने सपने से कम नहीं है. जब यह किसी भी देश में दस्तक देती है तो लोगों को कई आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है. आर्थिक मंदी का मतलब साफ है कि देश की जीडीपी ग्रोथ जब तिमाही तक निगेटिव रहती है तो उस अर्थव्यवस्था को ऑफिशियली तौर पर आर्थिक मंदी में फंसा हुआ मान लिया जाता है.
जीडीपी में गिरावट, आमदनी में कमी और महंगाई का सामना करते हुए कई बार लोगों की कमर टूट जाती है. इस दौरान देश के कई सेक्टर्स पर बहुत गहरा असर पड़ता है. आइए एक नजर डालते है उन सेक्टर्स पर, जो इस दौरान सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं लेकिन उससे पहले समझते है कि आखिर आर्थिक मंदी क्या है.
क्या है आर्थिक मंदी
मंदी का अर्थ है सुस्त यानी जब भी किसी देश की अर्थव्यवस्था लंबे समय तक धीमी या सुस्त रहती है तो उसे आर्थिक मंदी कहते हैं. किसी भी देश में आर्थिक मंदी का अंदाजा उस देश की जीडीपी से होता है.
आपको बता दें, किसी देश में एक साल के भीतर उत्पादन और सेवाओं के कुल मूल्य को जीडीपी कहा जाता है. देश की जीडीपी के आंकड़े ही बताते हैं कि देश की अर्थव्यवस्था फल-फूल रही है या उस पर मंदी के बादल मंडराने लगे हैं. जब किसी अर्थव्यवस्था में जीडीपी की वृद्धि लगातार दो तिमाहियों तक घटती है, तो इसे मंदी माना जाता है.